गुवाहाटी, 19 जून 2025: असम, जो जैव-विविधता से समृद्ध है, अब विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई खोज का केंद्र बन चुका है। गुवाहाटी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के शोधकर्ताओं ने प्रकृति के कुछ सबसे जहरीले पौधों में छिपी उपचारात्मक क्षमता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की है। यह खोज चिकित्सा क्षेत्र के लिए नई उम्मीदें जगा रही है, क्योंकि अब तक जहरीले माने जाने वाले पौधों में औषधीय गुणों की पहचान हो रही है।
प्राकृतिक पौधों में छिपे औषधीय गुण
पौधों का उपयोग प्राचीन काल से ही औषधीय गुणों के लिए किया जाता रहा है। लेकिन कुछ पौधे अपनी विषाक्तता के कारण जाने जाते हैं। अब तक इन पौधों को केवल खतरनाक माना जाता था, लेकिन शोधकर्ताओं ने यह साबित किया कि इनमें छिपे फाइटोकेमिकल्स (प्राकृतिक यौगिक) के गुण भी इंसानों के लिए लाभकारी हो सकते हैं। इन यौगिकों को अगर सावधानी से पृथक करके उपयोग किया जाए तो ये स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं का महत्वपूर्ण अध्ययन
आईएएसएसटी के निदेशक प्रोफेसर आशीष के मुखर्जी और वरिष्ठ शोध फेलो भाग्य लखमी राजबोंगशी के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने 70 जहरीले पौधों की प्रजातियों की पहचान की है, जो पारंपरिक रूप से विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किए जाते रहे हैं। इनमें बुखार, जुकाम, त्वचा रोग और एडिमा जैसी समस्याओं का इलाज शामिल है। इन पौधों का उपयोग होम्योपैथी और पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में पहले से ही किया जाता है।
फाइटोकेमिकल्स की चिकित्सीय क्षमता
शोधकर्ताओं ने बताया कि ये पौधे फाइटोकेमिकल्स उत्पन्न करते हैं, जो न केवल उनके अस्तित्व के लिए आवश्यक होते हैं, बल्कि मानव शरीर पर भी प्रभाव डाल सकते हैं। इनमें से कुछ फाइटोकेमिकल्स जहरीले हो सकते हैं, लेकिन यदि इन्हें वैज्ञानिक तरीके से पृथक और संशोधित किया जाए तो ये असाधारण चिकित्सीय गुण प्रदान कर सकते हैं।
आधुनिक फार्माकोलॉजी में नई दिशा
आधुनिक फार्माकोलॉजी ने इन प्राकृतिक विषाक्त तत्वों की चिकित्सीय क्षमता को पहचानना शुरू कर दिया है। अध्ययन में बताया गया है कि इन यौगिकों को सावधानीपूर्वक प्रसंस्करण के माध्यम से शक्तिशाली दवाओं में बदला जा सकता है। शोध में यह भी कहा गया कि पारंपरिक उपचार विधियों के बारे में अब आधुनिक विज्ञान से पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि ये पौधे उन बीमारियों के लिए नई दवाएं खोजने में मदद कर सकते हैं जिनका अभी तक कोई प्रभावी इलाज नहीं मिला है।
भविष्य के शोध और चिकित्सा प्रगति का मार्ग
शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि नैदानिक उपयोग से पहले इन पौधों के फाइटोकेमिकल्स का कठोर वैज्ञानिक परीक्षण और विषाक्तता अध्ययन करना आवश्यक है। हालांकि, यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन इस तरह के अध्ययन भविष्य में चिकित्सा क्षेत्र में नई दिशा और प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आईएएसएसटी के शोध ने यह साबित कर दिया है कि जहरीले पौधों की चिकित्सीय क्षमता को यदि सही तरीके से समझा और उपयोग किया जाए, तो ये प्राकृतिक उपचार के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा साबित हो सकते हैं। यह खोज चिकित्सा जगत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, और भविष्य में यह कई नई दवाओं की खोज में मदद कर सकता है।