नई दिल्ली, 16 अगस्त। केंद्रीय पोर्ट शिपिंग और जलमार्ग मंत्री, श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज नई दिल्ली में ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (जीटीटीपी) के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का आधिकारिक रूप से शुभारंभ किया। यह ऐतिहासिक पहल भारत की समुद्री क्षेत्र में पर्यावरणीय स्थिरता और हरित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पारंपरिक ईंधन पर आधारित बंदरगाह टग्स को स्वच्छ और टिकाऊ विकल्पों में बदलने के लिए तैयार है।
ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (जीटीटीपी) को ‘पंच कर्म संकल्प’ के तहत एक प्रमुख पहल के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस कार्यक्रम की घोषणा 22 मई 2023 को केंद्रीय पोर्ट शिपिंग और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा ‘चिंतन शिविर’ कार्यक्रम के दौरान की गई थी। यह कार्यक्रम भारतीय समुद्री संचालन के डिकार्बोनाइजेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य भारतीय प्रमुख बंदरगाहों में संचालित होने वाले पारंपरिक ईंधन पर आधारित टग्स को हटाकर उन्हें हरित टग्स से बदलना है, जो स्वच्छ और अधिक टिकाऊ वैकल्पिक ईंधन से संचालित होंगे।
जीटीटीपी का पहला चरण 1 अक्टूबर 2024 से शुरू होगा और 31 दिसंबर 2027 तक चलेगा। इस चरण में चार प्रमुख बंदरगाह—जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी, दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी, पारादीप पोर्ट अथॉरिटी, और वीओ चिदंबरनार पोर्ट अथॉरिटी—कम से कम दो-दो हरित टग्स का अधिग्रहण या चार्टर करेंगे। इस कार्यक्रम में लगभग 1000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है। पहले चरण के तहत टग्स बैटरी-इलेक्ट्रिक होंगे, जिनमें हाइब्रिड, मेथनॉल, और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी उभरती हरित तकनीकों को अपनाने का प्रावधान होगा।
श्री सर्बानंद सोनोवाल ने लॉन्च के अवसर पर कहा, “ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम हमारी स्थायी और हरित समुद्री क्षेत्र की दृष्टि को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह कार्यक्रम हमारे पर्यावरणीय लक्ष्यों के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी मजबूती देगा, जो देश के समुद्री उद्योग में नवाचार और निर्माण को प्रोत्साहित करेगा।”
इसके अलावा, इस कार्यक्रम के तहत बनाए जाने वाले सभी टग्स भारतीय शिपयार्ड्स में निर्मित होंगे, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल का हिस्सा है। इस कार्यक्रम से जहाज निर्माण और डिजाइन के क्षेत्र में रोजगार के व्यापक अवसर भी पैदा होंगे।
साल 2040 तक, सभी प्रमुख भारतीय बंदरगाहों में संचालित होने वाले टग्स को हरित टग्स में बदलने की योजना है, जिससे देश में एक मानकीकृत, पर्यावरण-मित्र बेड़े की स्थापना हो सकेगी। 2033 के बाद, भारत में निर्माण किए जाने वाले सभी नए टग्स को एएसटीडीएस-जीटीटीपी मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2020 में शुरू किए गए समुद्री भारत दृष्टि 2030 (Maritime India Vision 2030) में भारत के समुद्री क्षेत्र को एक वैश्विक नेता बनाने के लिए सुरक्षा, स्थिरता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देने की प्रमुख रणनीतियाँ निर्धारित की गई हैं। इसी के तहत, 2023 में प्रस्तुत ‘मैरिटाइम अमृत काल विजन 2047’ में प्रमुख बंदरगाहों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 2030 तक 30% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
जीटीटीपी सरकार की स्थिरता और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो भारत के बंदरगाहों और समुद्री संचालन के लिए एक स्वच्छ, हरित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।
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