मोहाली स्थित नैशनल एग्री-फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (NABI), जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है, ने 24 अगस्त 2024 को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा स्वीकृत ‘BioE3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए बायोटेक्नोलॉजी) नीति’ का स्वागत किया है। NABI ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि BioE3 नीति स्मार्ट प्रोटीन के बड़े पैमाने पर निर्माण में सहायक सिद्ध होगी, जो इस नीति के तहत रणनीतिक क्षेत्रों में से एक है।
स्मार्ट या वैकल्पिक प्रोटीन, मांस, अंडे और डेयरी के अलावा अन्य स्रोतों से प्राप्त प्रोटीन होते हैं। कई अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय कंपनियां पहले ही स्मार्ट प्रोटीन बाजार में प्रवेश कर चुकी हैं। इन कल्चर स्मार्ट प्रोटीन्स का उत्पादन रेड मीट की तुलना में 1% से भी कम भूमि और 5% पानी का उपयोग करता है, यह बीमारियों से मुक्त होते हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्वों से भी।
NABI ने कहा है कि भारत की जैव-अर्थव्यवस्था के 2030 तक $300 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में लैब-स्केल प्रोडक्शन्स और कमर्शियल-स्केल मैन्युफैक्चरिंग के बीच के अंतर को पाटना भारत को पोषण सुरक्षा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, वो भी न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ।
NABI के कार्यकारी निदेशक, प्रोफेसर अश्विनी पारीक ने कहा कि NABI स्मार्ट प्रोटीन के उत्पादन में बड़ा योगदान देने जा रहा है। उन्होंने कहा, “ये नए प्रयास विकसित और समृद्ध भारत के निर्माण में हरित प्रौद्योगिकियों के सतत उपयोग के माध्यम से योगदान देंगे। NABI स्मार्ट कृषि और जैव-प्रसंस्करण में इस परिवर्तनकारी प्रगति को अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग के समर्थन से, NABI जलवायु-स्मार्ट कृषि सुनिश्चित करने और स्मार्ट प्रोटीन उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकियों की स्थापना में बड़ा योगदान देने जा रहा है। इससे भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के प्रधानमंत्री के विज़न को साकार करने में मदद मिलेगी।”
स्मार्ट प्रोटीन इंडस्ट्री, NABI जैसे संस्थानों के सहयोग से, प्लांट-बेस्ड मीट अल्टरनेटिव्स (PBMA), इन विट्रो कल्चर मीट (IVM) और ‘प्रोटीन फर्मेंटेशन’ (PF) जैसे विभिन्न श्रेणियों के स्मार्ट प्रोटीन्स पर उन्नत अनुसंधान को तेज करने की उम्मीद करती है। PBMA वैकल्पिक प्रोटीन की सबसे लोकप्रिय श्रेणी है। ये उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, और वह भी न्यूनतम संसाधनों के उपयोग और पर्यावरण पर कम से कम प्रभाव के साथ।
BioE3 नीति के बारे में:
BioE3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए बायोटेक्नोलॉजी) नीति को 24 अगस्त 2024 को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा स्वीकृति दी गई। उच्च प्रदर्शन जैव-निर्माण, चिकित्सा से लेकर सामग्री उत्पादन तक, कृषि और खाद्य चुनौतियों का समाधान करने, और जैव-आधारित उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा देने की क्षमता है। राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए, BioE3 नीति मुख्य रूप से निम्नलिखित रणनीतिक और थीमेटिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी: स्मार्ट प्रोटीन और फंक्शनल फूड्स; उच्च मूल्य वाले जैव-आधारित रसायन, बायोपॉलिमर और एंजाइम; सटीक बायोथेराप्यूटिक्स; जलवायु लचीला कृषि; कार्बन कैप्चर और इसका उपयोग; समुद्री और अंतरिक्ष अनुसंधान।
NABI के बारे में:
नेशनल एग्री-फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (NABI) भारत में स्थापित पहला एग्री-फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट है, जिसकी स्थापना 18 फरवरी 2010 को की गई थी। संस्थान का उद्देश्य भारत में एग्री-फूड क्षेत्र के परिवर्तन को उत्प्रेरित करना है। संस्थान का लक्ष्य एग्री-फूड बायोटेक इनोवेशन पर आधारित मूल्यवर्धित उत्पादों की ओर अग्रसर ज्ञान निर्माण और अनुवादक विज्ञान के लिए एक प्रमुख संगठन बनना है। NABI का मुख्य शोध क्षेत्र कृषि जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य और पोषण जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग कर गुणवत्तापूर्ण खाद्य और पोषण की दिशा में स्थायी और नवीन समाधान प्रदान करना है।