जयपुर, 16 जून 2025।
संस्कृत भाषा और संस्कृति के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार में अतुलनीय योगदान देने वाले विद्वानों को सम्मानित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष की तरह इस साल भी राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस समारोह में संस्कृत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्वानों और कर्मियों को उच्चतम सम्मान प्रदान किया जाएगा। इस वर्ष यह सम्मान 15 जुलाई 2025 तक प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर वितरित किए जाएंगे।
संस्कृत-शिक्षा विभाग राजस्थान की आयुक्त प्रियंका जोधावत ने इस अवसर पर जानकारी दी कि पुरस्कार के लिए प्रस्ताव सभी जिलों के कलक्टर, विश्वविद्यालय कुलसचिव, संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी, निदेशक प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग और संस्कृत शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों से आमंत्रित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि प्रस्तावों के साथ विद्वानों का संक्षिप्त परिचयात्मक विवरण आवश्यक है, जिसे निर्धारित प्रपत्र में भरकर भेजा जा सकता है। प्रस्ताव डाक द्वारा, व्यक्तिगत रूप से, और विभागीय ईमेल (dir-sans-rj@nic.in) पर भेजे जा सकते हैं।
प्रस्ताव भेजने की अंतिम तिथि: 15 जुलाई 2025
विभागीय वेबसाइट पर विस्तृत जानकारी और आवेदन-प्रारूप उपलब्ध है: https://education.rajasthan.gov.in/sanskrit
संस्कृत विद्वानों को पुरस्कार देने के मानदंड
संस्कृत दिवस समारोह के तहत विद्वानों के सम्मान की योजना में खासतौर पर उन विद्वानों को चुना जाएगा जिन्होंने संस्कृत शिक्षा, संस्कृत साहित्य, संस्कृत के प्रचार-प्रसार, और इसके समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। प्रमुख चयन मानदंडों में शामिल हैं:
- वैदिक वाङ्मय की सेवा: जो विद्वान परंपरागत वेदपाठ, वेद संहिताओं के अध्यापन या वेद-भाष्यों के अनुशीलन में विशेषज्ञ हों, उन्हें सम्मानित किया जाएगा। यह वेदों और उपनिषदों के अध्याय और विवेचन के क्षेत्र में योगदान देने वाले विद्वानों के लिए उपयुक्त होगा।
- शास्त्रीय-परंपरा के विशेषज्ञ: वे विद्वान जो शास्त्र-विशेष के अधिकृत विद्वान हों और जिन्होंने संस्कृत साहित्य में योगदान दिया हो, वे भी सम्मान के पात्र होंगे।
- साहित्यिक सृजन: जिन्होंने संस्कृत साहित्य के किसी अंग में गूढ़ ज्ञान का प्रकाशन किया हो या किसी अन्य संस्कृत शाखा में कार्य कर उसे और समृद्ध किया हो।
- शिक्षण पद्धतियों में नवाचार: जिन्होंने संस्कृत अध्ययन-अध्यान और प्रशिक्षण पद्धतियों में नवाचार किया हो और इस क्षेत्र में साहित्य-सृजन किया हो।
- संस्कृत शिक्षा के संस्थान: जिन्होंने उच्चस्तरीय शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना और संचालन कर संस्कृत शिक्षा की पहचान बनाई हो।
- अनुसंधान और तुलनात्मक अध्ययन: जिन्होंने संस्कृत वाङ्मय के माध्यम से शोध, तुलनात्मक अध्ययन या अन्य अनुसंधान कार्य किए हों और संस्कृत ज्ञान को प्रमुखता से प्रचारित किया हो।
- समाज और संस्कृति में योगदान: जिन्होंने सम-सामयिक और सामाजिक मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में संस्कृत के महत्व को प्रदर्शित किया हो और संस्कृत को जन-जन तक पहुँचाने के लिए कार्य किए हों।
- संस्कृत के व्याकरण में योगदान: जिन्होंने संस्कृत के व्याकरण की वैज्ञानिकता, उत्कृष्टता और विशालता के बारे में महत्त्वपूर्ण विश्लेषण किया हो।
चयन प्रक्रिया
संस्कार और शिक्षण में विद्वता, मौलिक रचनाओं, शोध-कार्य और संस्कृत के प्रचार-प्रसार में योगदान की समग्र समीक्षा के आधार पर विद्वानों का चयन किया जाएगा। चयन प्रक्रिया पूरी तरह से वस्तुपरक और तथ्यपरक होगी, ताकि योग्य व्यक्तियों का चयन सुनिश्चित किया जा सके।
विशेष बातें
- चयन प्रक्रिया में संस्कृत विद्वान की शैक्षिक अर्हताएँ, मौलिक रचनाएँ, और संस्कृत शिक्षा में योगदान का प्रमुख रूप से मूल्यांकन किया जाएगा।
- पुरस्कार के लिए चयन सम्पूर्ण राज्य स्तर पर किया जाएगा, जिससे राजस्थान के हर कोने से प्रतिभाएं सम्मानित हो सकें।
- संस्कृत के प्रौढ़ विद्वान, जिनकी शैक्षिक अर्हता कम हो सकती है, लेकिन जिन्होंने संस्कृत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया हो, उन्हें भी उनके अर्जित उपलब्धियों के आधार पर चयनित किया जा सकता है।
राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस समारोह हर वर्ष संस्कृत विद्वानों को प्रोत्साहित करने और उनके द्वारा किए गए प्रयासों का सम्मान करने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। इस बार यह समारोह संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले विद्वानों के योगदान को सराहने और उन्हें एक नया सम्मान देने का अवसर है। संस्कृत भाषा और संस्कृति की समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए यह पुरस्कार उन विद्वानों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा, जो संस्कृत के प्रचार-प्रसार में लगे हैं।