नई दिल्ली, 8 अगस्त 2024: भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पहल, वर्चुअल कोर्ट, ने न्यायालयों में वादी या अधिवक्ता की उपस्थिति के बिना वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर मामलों का निपटारा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस पहल का उद्देश्य न्यायालयों के संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करना और वादियों को विवादों के समाधान के लिए एक प्रभावी मार्ग प्रदान करना है।
वर्तमान में, वर्चुअल कोर्ट केवल ट्रैफिक चालान मामलों से संबंधित मामलों को संभाल रहे हैं, जिससे मुकदमेबाजी की लागत में कमी आई है और ट्रैफिक चालान मामलों के निवारण की प्रक्रिया सरल हुई है। 28 वर्चुअल कोर्टों ने अब तक 5.26 करोड़ (5,26,53,142) मामलों का प्रबंधन किया है, और 30 जून, 2024 तक 56 लाख (56,51,204) से अधिक मामलों में 579.40 करोड़ रुपये से अधिक का ऑनलाइन जुर्माना वसूला गया है।
देशभर में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 28 वर्चुअल कोर्ट कार्यरत हैं, जिनमें दिल्ली (2), हरियाणा, चंडीगढ़, गुजरात (2), तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल (2), महाराष्ट्र (2), असम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर (2), उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड (2), मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और मणिपुर (2) शामिल हैं।
वर्चुअल कोर्ट की स्थापना एक प्रशासनिक मामला है और इसका कार्यान्वयन संबंधित उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र में आता है, केंद्र सरकार की इसमें कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है।
ई-कोर्ट परियोजना चरण-III के अंतर्गत, एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 1150 अतिरिक्त वर्चुअल कोर्टों की स्थापना की योजना है। इस उद्देश्य के लिए 413.08 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो लंबित मामलों के त्वरित निपटारे में सहायता प्रदान करेगा।
इस पहल की जानकारी विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।