नई दिल्ली – केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने स्वतंत्रता दिवस 2024 की पूर्व संध्या पर खुशी जताते हुए कहा कि भारत ने अपनी रामसर साइटों की संख्या 82 से बढ़ाकर 85 कर दी है। तीन नई वैटलैंड्स को रामसर साइटों के रूप में नामित किया गया है, जिसमें तमिलनाडु और मध्य प्रदेश की साइटें शामिल हैं।
श्री यादव ने बताया कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने और वैटलैंड्स के संरक्षण की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। तमिलनाडु में नंजरायन पक्षी अभयारण्य और काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य, और मध्य प्रदेश में तवा जलाशय को नई रामसर साइटों के रूप में जोड़ा गया है।
इन नई साइटों के शामिल होने के साथ, भारत में रामसर साइटों का कुल क्षेत्रफल 1,358,067.757 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इन साइटों को शामिल करने से देश की वैटलैंड्स संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
भारत 1971 में रामसर कन्वेंशन का सदस्य बना और 1982 से अब तक 85 रामसर साइटों की सूची में 59 नई साइटें जोड़ी गई हैं। वर्तमान में, तमिलनाडु में सबसे अधिक 18 रामसर साइटें हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 10 साइटें हैं।

नई रामसर साइटों की विशेषताएँ:
- नंजरायन पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु):
- क्षेत्रफल: 125.865 हेक्टेयर
- विशेषताएँ: यह झील पक्षियों की लगभग 191 प्रजातियों का घर है और क्षेत्रीय जल पुनर्भरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु):
- क्षेत्रफल: 5151.6 हेक्टेयर
- विशेषताएँ: यह झील प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी वैटलैंड्स में से एक है और पक्षियों की प्रवासी प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण है।
- तवा जलाशय (मध्य प्रदेश):
- क्षेत्रफल: 20,050 हेक्टेयर
- विशेषताएँ: यह जलाशय नर्मदा नदी की सहायक नदी पर बना है और जलीय वनस्पतियों तथा जीवों के लिए महत्वपूर्ण है।
इस घोषणा के साथ, भारत की वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से साबित किया है और वैश्विक स्तर पर भारत की पर्यावरणीय जिम्मेदारी को मजबूत किया है