नई दिल्ली, 19 जून 2025: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में जेंडर बजटिंग पर एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन किया। इस परामर्श में 40 केंद्रीय मंत्रालयों और 19 राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा संयुक्त राष्ट्र की महिलाओं, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। इस अवसर पर महिलाओं के सशक्तिकरण और लैंगिक समानता की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को एक बार फिर से स्पष्ट किया गया।
मुख्य घटनाएँ:
- जेंडर बजटिंग नॉलेज हब पोर्टल का शुभारंभ: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने ‘जेंडर बजटिंग नॉलेज हब’ पोर्टल का उद्घाटन किया। इस पोर्टल का उद्देश्य जेंडर बजटिंग से जुड़ी सभी जानकारी को एकत्रित करना और इसे केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों तथा अन्य संबंधित पक्षों के साथ साझा करना है।
- महिलाओं में निवेश से होगा सशक्त और विकसित भारत का निर्माण: श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने अपने संबोधन में कहा, “सरकार का विश्वास है कि जब हम महिलाओं में निवेश करते हैं, तो हम केवल संसाधन आवंटित नहीं कर रहे होते, बल्कि एक समावेशी, न्यायपूर्ण और सशक्त भारत का निर्माण कर रहे होते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि अब महिलाओं को केवल लाभार्थी के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माता और नवोन्मेषक के रूप में देखा जा रहा है।
- जेंडर बजट आवंटन में रिकॉर्ड वृद्धि: मंत्री ने यह भी साझा किया कि पिछले 11 वर्षों में जेंडर बजट आवंटन में साढ़े चार गुना वृद्धि हुई है। 2014-15 में 0.98 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में यह राशि 4.49 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। यह वृद्धि सरकार के महिलाओं के सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- प्रशिक्षण मैनुअल पर विचार: राष्ट्रीय परामर्श के दौरान जेंडर बजटिंग के बीस वर्षों में मिली उपलब्धियों और सामने आई चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा हुई। इसके अलावा, मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए जेंडर बजटिंग प्रशिक्षण मैनुअल पर भी विचार विमर्श किया गया। यह मैनुअल भारत में जेंडर बजटिंग के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में कार्य करेगा।
आज का परामर्श सम्मेलन न केवल जेंडर बजटिंग की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने महिलाओं को एक नई भूमिका में स्थापित करने और उनके लिए समान अवसर प्रदान करने की दिशा में सरकार की नीतियों को भी उजागर किया। लैंगिक समानता की दिशा में उठाए गए कदम निश्चित रूप से भारत को एक सशक्त और समावेशी राष्ट्र बनाने की ओर ले जाएंगे।
क्या है जेंडर बजटिंग ?
जेंडर बजटिंग एक सरकारी प्रक्रिया है, जिसमें बजट आवंटन और खर्च को लैंगिक दृष्टिकोण से देखा जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार के द्वारा किए जाने वाले सभी वित्तीय निर्णयों और योजनाओं में महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता को बढ़ावा दिया जाए। इस प्रक्रिया में यह ध्यान रखा जाता है कि विभिन्न जेंडर (लिंग) समूहों के लिए एक समान विकास और अवसर प्रदान किए जाएं।
मुख्य बिंदु:
- लैंगिक समानता को बढ़ावा देना: जेंडर बजटिंग का प्रमुख उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता सुनिश्चित करना है। यह महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए किया जाता है।
- सरकारी योजनाओं में समावेशिता: इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि सरकारी योजनाएं और परियोजनाएं दोनों लिंगों की जरूरतों और समस्याओं का समाधान करें। उदाहरण के तौर पर, अगर स्वास्थ्य या शिक्षा के क्षेत्र में कोई योजना बनती है, तो जेंडर बजटिंग यह सुनिश्चित करती है कि वह योजना महिलाओं की स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता दे।
- निवेश और संसाधन आवंटन: जेंडर बजटिंग में सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से निवेश करती है, ताकि समाज में महिलाओं को समान अवसर मिलें। उदाहरण स्वरूप, महिलाओं के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए बजट आवंटित किया जाता है।
- पारदर्शिता और जिम्मेदारी: जेंडर बजटिंग का उद्देश्य यह भी है कि सरकार द्वारा खर्च किए जाने वाले संसाधनों पर पारदर्शिता बनी रहे, और यह सुनिश्चित किया जाए कि संसाधन सही तरीके से लैंगिक समानता की दिशा में इस्तेमाल हो रहे हैं।
भारत में जेंडर बजटिंग: भारत में जेंडर बजटिंग की शुरुआत 2005-06 में हुई थी। तब से सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों के बजट को लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से تخصीयत किया है। इसके तहत, बजट के हिस्से को महिलाओं के विकास के लिए विशेष योजनाओं में खर्च किया जाता है।
जेंडर बजटिंग का महत्व:
- यह महिलाओं को केवल लाभार्थी के रूप में नहीं देखता, बल्कि उन्हें समाज के निर्माण और विकास में सक्रिय भागीदार मानता है।
- यह महिलाओं की आर्थिक स्थिति, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि से संबंधित विशेष योजनाओं और नीतियों को बढ़ावा देता है।
इस प्रक्रिया के माध्यम से, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि उसके द्वारा किए जाने वाले सभी वित्तीय निर्णय जेंडर-संवेदनशील हों और समाज में लैंगिक समानता की दिशा में कदम उठाए जाएं।