Monday, June 23, 2025
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राजस्थान विधानसभा का द्वितीय सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, 22 दिन और 175 घंटे तक चला सदन:

जयपुर, 13 अगस्त। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने सोलहवीं राजस्थान विधानसभा के द्वितीय सत्र को 06 अगस्त को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। इस सत्र में, अध्यक्ष देवनानी ने कई नवाचारों की शुरुआत की, जिनमें से प्रमुख पर्ची व्यवस्था की पुनः शुरुआत थी, जिसे पंद्रहवीं विधानसभा के दौरान बंद कर दिया गया था।

पहली बार विधायकों ने साझा किए अपने नवाचार:

अध्यक्ष श्री देवनानी ने इस सत्र में एक महत्वपूर्ण पहल की, जिसमें विधायकों को अपने क्षेत्रों के अनुभवों और नवाचारों पर विचार साझा करने का अवसर दिया गया। यह राजस्थान विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुआ है, और संभवतः यह देश की पहली विधानसभा होगी जहां विधायकों के नवाचारों पर विचार किया गया। इसके अलावा, अध्यक्ष ने वार्षिक प्रगति प्रतिवेदनों पर सदन में चर्चा भी करवाई, जो कि एक नई पहल थी।

22 दिन और 175 घंटे तक चला सदन:

इस सत्र में, कुल 22 बैठकें हुईं और 06 अगस्त तक विधानसभा की कार्यवाही लगभग 175 घंटे 13 मिनट तक चली। सदन में विधायकों से कुल 8088 प्रश्न प्राप्त हुए, जिनमें से 3812 तारांकित और 4276 अतारांकित प्रश्न थे। इसके अलावा, सदन में 204 स्थगन प्रस्ताव और 280 विशेष उल्लेख प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए, जिनमें से कई पर चर्चा की गई।

नवाचारों के लिए जानी जाती है अध्यक्ष की कार्यशैली:

अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने सदन संचालन में प्रभावी भूमिका निभाई है और अपने नवाचारों के माध्यम से राजस्थान विधानसभा को देश की सर्वश्रेष्ठ विधानसभा बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा था कि वे विधानसभा की गरिमा और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सदैव प्रयासरत रहेंगे।

प्रश्नों के त्वरित समाधान पर बल:

अध्यक्ष श्री देवनानी ने प्रश्‍नों के जवाबों में देरी के मुद्दे पर भी गंभीरता से ध्यान दिया। उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठकें आयोजित कर 92 प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए और सदन में लंबित प्रश्नों के त्वरित समाधान पर जोर दिया।

विधायी कार्य और याचिकाएं:

इस सत्र में कुल पांच विधेयक प्रस्तुत किए गए, जिनमें से तीन विधेयक सदन द्वारा पारित किए गए और एक विधेयक को प्रवर समिति को सुपुर्द किया गया। इसके अलावा, इस सत्र में विभिन्न समितियों के कुल 20 प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत किए गए, और चार वार्षिक प्रगति प्रतिवेदनों पर चर्चा की गई।

पेयजल, बिजली, और आपदा प्रबंधन पर चर्चा:

इस सत्र में प्रदेश में पेयजल, बिजली, और आपदा प्रबंधन की स्थिति पर भी विचार-विमर्श हुआ। साथ ही, पहली बार विधायकों के अनुभव और नवाचारों पर चर्चा की पहल की गई, जिससे यह सत्र और भी महत्वपूर्ण बन गया।

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