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राज्य में स्थापित होगा ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिरेमिक्स’ राजस्थान में सिरेमिक मिनरल्स के प्रसंस्करण को मिलेगा बढ़ावा:

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जयपुर, 14 अगस्त 2024: राजस्थान में सिरेमिक मिनरल्स के विशाल भंडारों के बेहतर उपयोग और प्रसंस्करण के लिए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा के निर्देश पर राज्य में सिरेमिक क्षेत्र को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने और इस क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिरेमिक्स’ की स्थापना की जाएगी।

खान सचिव श्रीमती आनन्दी ने इस पहल की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में सिरेमिक मिनरल्स जैसे बाल क्ले, सिलिका सैंड, क्वार्ट्ज, चाइना क्ले, फेल्सपार आदि के विपुल भंडार बीकानेर, अजमेर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, जयपुर, करौली, नागौर, पाली और राजसमंद जिलों में उपलब्ध हैं। हालांकि, टाइल्स और सिरेमिक उत्पादों का बड़ा उद्योग गुजरात के मोरवी में स्थापित है, जबकि राजस्थान में ही पर्याप्त कच्चा माल उपलब्ध है।

इस ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के माध्यम से राजस्थान में सिरेमिक क्षेत्र के शोध, अध्ययन, और प्रसंस्करण में आधुनिकतम तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही, विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सिलिका में आयरन कंटेंट को 100 पीपीएम या उससे नीचे लाने की तकनीक का उपयोग कर विश्वस्तरीय ग्लास और अन्य सिरेमिक उत्पाद तैयार किए जा सकेंगे।

मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा का लक्ष्य है कि राजस्थान में ही सिरेमिक मिनरल्स का प्रसंस्करण किया जाए, जिससे राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़े, युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मिलें, और राज्य का राजस्व भी बढ़े। इसके अलावा, विदेशी बाजारों में भी राजस्थान की पहचान को मजबूत किया जा सके।

निदेशक माइंस श्री भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि राजस्थान में करीब 2 हजार मिलियन टन सिलिका मिनरल्स के डिपॉजिट हैं, जिनमें 550 मिलियन टन क्ले, 572 मिलियन टन फेल्सपार, और 740 मिलियन टन क्वार्ट्ज सिलिका सैंड शामिल हैं। ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिरेमिक्स’ की स्थापना से प्रदेश में सिरेमिक उद्योग में नए और उन्नत तकनीकों का उपयोग संभव हो सकेगा।

सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों ने सस्ती नेचुरल गैस की उपलब्धता पर जोर दिया और पीपीपी मॉडल के माध्यम से उद्यमियों की सहभागिता सुनिश्चित करने का सुझाव दिया। इस आयोजन में जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक श्री संजय सिंह और अन्य विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।

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