जयपुर, 20 अगस्त। डेल्फीक काउंसिल ऑफ राजस्थान, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर और उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के संयुक्त तत्वाधान में एवं जवाहर कला केंद्र के सहयोग से तीन दिवसीय ‘सुर ताल’ उत्सव का आयोजन 6 से 8 सितंबर तक जवाहर कला केंद्र के रंगायन और कृष्णायन सभागार में किया जाएगा। यह उत्सव संगीत और नृत्य की समृद्ध परंपराओं को एक मंच पर लाएगा और साथ ही फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक विशेष कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी।
डेल्फीक काउंसिल ऑफ राजस्थान की अध्यक्ष श्रेया गुहा ने बताया कि इस बार यह आयोजन तीन संस्थाओं के संयुक्त सहयोग से हो रहा है। ‘सुर ताल’ उत्सव की शुरुआत 6 सितंबर को प्रातः 10:30 बजे कृष्णायन सभागार में उद्घाटन कार्यक्रम के साथ होगी। इसके बाद फोटोग्राफी कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जो सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी। इस कार्यशाला में मुंबई के प्रसिद्ध फोटोग्राफर शिरीष कर्राले फोटोग्राफी के गुर सिखाएंगे, जिसमें प्रतिभागी प्रैक्टिकल सेशन के माध्यम से फोटोग्राफी के नए पहलुओं को समझ सकेंगे।
उत्सव का सांस्कृतिक कार्यक्रम 6 सितंबर की शाम गुरु रणछोड़लाल के हवेली संगीत से आरंभ होगा। इसके बाद दिल्ली के प्रसिद्ध कोरियोग्राफर संतोष नायर के 30 सदस्यीय दल द्वारा विभिन्न नृत्यों की आकर्षक प्रस्तुति दी जाएगी। 7 सितंबर को जयपुर के शास्त्रीय गायक सौरव वशिष्ट अपनी प्रस्तुति देंगे, जिसके बाद उदयपुर के ओडिसी गुरु कृष्णेनेंदु साहा के दल द्वारा ओडिसी नृत्य की कलात्मक प्रस्तुति होगी।
‘सुर ताल’ के अंतिम दिन, 8 सितंबर को ग़ज़ल की प्रस्तुतियां होंगी, जिनमें डॉ. प्रेम भंडारी, डॉ. देवेंद्र हिरण, और डॉ. पामिल मोदी द्वारा ग़ज़ल गायन की प्रस्तुतियां दी जाएंगी। डॉ. प्रेम भंडारी, जो एक कवि, शायर और संगीत निर्देशक भी हैं, ने प्रसिद्ध गायक जगजीत सिंह के साथ काम किया था, और उनके निर्देशन में जगजीत सिंह ने अपना अंतिम गाना फिल्म ‘महाराणा प्रताप’ के लिए रिकॉर्ड किया था।
उत्सव के सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम शाम 6:30 बजे रंगायन सभागार में आयोजित होंगे और इनका प्रवेश निशुल्क रहेगा। फोटोग्राफी कार्यशाला के लिए इच्छुक प्रतिभागियों को एक टोकन राशि जमा कर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।