जयपुर, 16 अगस्त। राजस्थान में हो रही लगातार बारिश के चलते फसलों में खरपतवारों की अधिक वृद्धि हो रही है, जिससे फसलों में कीट-व्याधियों का प्रकोप बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। समय पर आवश्यक कृषि क्रियाएं संपादित नहीं होने और मौसम की अनुकूलता के कारण यह खतरा और भी बढ़ गया है।
पिछले कुछ वर्षों में राज्य की फसलों में कीट-व्याधियों का व्यापक प्रकोप देखा गया है, जिनमें मक्का में फाल आर्मीवर्म, कपास में गुलाबी सुण्डी, सफेद मक्खी व थ्रिप्स, बाजरा में फड़का व कातरा, सोयाबीन में गर्डल बीटल व सेमीलूषर, ग्वार में कातरा, मूंग, मोठ में फली छेदक और अरण्डी में सेमीलूषर प्रमुख हैं। इन कीट-व्याधियों के प्रभावी नियंत्रण और प्रबंधन के लिए कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
राज्य के कृषि आयुक्त श्री कन्हैया स्वामी ने बताया कि कीट-व्याधियों पर सतत निगरानी एवं सर्वेक्षण के लिए वर्ष 2024-25 के लिए रेपिड रोविंग सर्वे के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में कार्यरत समस्त कृषि विस्तार अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे नियमित भ्रमण कर किसानों से संपर्क बनाए रखें और उन्हें फसल प्रबंधन संबंधी तकनीकी जानकारी प्रदान करें। साथ ही, फसलों की वस्तुस्थिति से उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराते रहें।
कृषकों को इस वर्ष विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है ताकि फसलों को कीट-व्याधियों से बचाया जा सके और उत्पादन में किसी भी प्रकार की हानि से बचा जा सके।